Thursday, June 7, 2012

उम्मीद में



घर की मुंडेर से
चिड़िया उड़ कर
मेरे घर के
बगीचे में आयी
 यूँ लगा जैसे
उनका पैगाम लाई है
मैं उदास चेहरे से
उसके पास गया
तो फुर्र से उड़ गयी
मुझे यकीन हो गया 
मेरा हाल जानने
आयी थी
तब से अब तक
चिड़िया के आने की
उम्मीद में
बगीचे में ही बैठा हूँ
कभी तो आकर
उनका हाल
बतायेगी
मिलने का पैगाम भी
साथ लायेगी
06-06-2012
578-28-06-12

1 comment:

नुक्कड़वाली गली से... said...

बहुत ही भावपूर्ण अभियक्ति.....सुन्दर